Chaitra Navratri 2020: Day 5 मां स्कंदमाता की आराधना करें

Chaitra Navratri 2020: Day 5 is belongs to maa skandamata. Learn and read Skanda Maa Ki Aarti In Hindi. It is believed that the second prahar which 9:00 AM to 12:00AM is the best time for worship of Maa Skandamata.
नवरात्री के पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता का आराधना करें
नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा की पांचवीं शक्ति स्कंदमाता की आराधना की जाती है। भगवान स्कंद की माता होने होने के कारण मां दुर्गा की इस पांचवीं शक्ति को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। भगवान स्कंद बालरूप में माता की गोद में विराजमान हैं। वहीं माता ने अपनी चार भुजाओं में से दाहिनी उपरी भुजा ने भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। माना जाता है इनके आशीर्वाद से संतान का सुख मिलने के साथ ही दुखों से मुक्ति भी मिलती है।
स्कंदमाता की पूजा का श्रेष्ठ समय है दिन का दूसरा पहर। इनकी पूजा चंपा के फूलों से करनी चाहिए। इन्हें मूंग से बने मिष्ठान का भोग लगाएं। श्रृंगार में इन्हें हरे रंग की चूडियां चढ़ानी चाहिए। इनकी उपासना से मंदबुद्धि व्यक्ति को बुद्धि व चेतना प्राप्त होती है, पारिवारिक शांति मिलती है, इनकी कृपा से ही रोगियों को रोगों से मुक्ति मिलती है तथा समस्त व्याधियों का अंत होता है। देवी स्कंदमाता की साधना उन लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है जिनकी आजीविका का संबंध मैनेजमेंट, वाणिज्य, बैंकिंग अथवा व्यापार से है।
स्कंदमाता पूजा मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
माना जाता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से बाल रूप स्कंद कुमार की पूजा पूरी मानी जाती है।
देवी स्कंदमाता की पूजा करते वक्त नारंगी रंग के वस्त्र धारण करें और नारंगी रंग के कपड़ों और श्रृंगार सामग्री से ही देवी को सजाएं। इस रंग को ताजगी का प्रतीक भी माना जाता है।
स्कंद माता की आरती | Skanda Maa Ki Aarti In Hindi
जय तेरी हो अस्कंध माता
पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहू मै
हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै
कई नामो से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा
कही पहाड़ो पर है डेरा
कई शेहरो मै तेरा बसेरा
हर मंदिर मै तेरे नजारे
गुण गाये तेरे भगत प्यारे
भगति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इन्दर आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये
तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई
‘चमन’ की आस पुजाने आई